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समुद्र-वसने देवि, पर्वत-स्तन-मंडिते।
विष्णु-पत्नि नमस्तुभ्यं, पाद-स्पर्शं क्षमस्व मे॥
अर्थात- इस मंत्र का अर्थ है, समुद्र रुपी वस्त्र धारण करने वाली पर्वत रुपी स्तनों से मंडित भगवान विष्णु की पत्नी हे माता पृथ्वी! मुझे पाद स्पर्श के लिए क्षमा करें।
This picture was submitted by Smita Haldankar.
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