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झांक रहे सब सबके आँगन,
अपने आँगन झाँके कौन?
ढूँढ रहे दुनियाँ में खामी,
अपने मन में झाँके कौन?
सबके भीतर चोर छुपा है,
उसको अब ललकारे कौन?
दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते,
खुद को आज सुधारे कौन?
पर उपदेश कुशल बहु तेरे,
खुद पर आज बिचारे कौन?
हम सुधरें तो जग सुधरेगा,
इस मुद्दे पर सब हैं मौन?
This picture was submitted by Smita Haldankar.
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