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लड़के और लड़कियों में
कोई फ़र्क नहीं होता है.
लड़कियों को अवसर दो
वो पूरी दुनिया को जीत कर दिखा सकती हैं.
एक लड़की के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण आत्मविश्वास होता हैं.
लड़कियाँ वो सब करने में सक्षम है जो एक लड़का कर सकता हैं. कई बार लड़कियाँ लड़कों से बेहतर करती हैं.
नारीवाद लड़की शक्ति के बारे में नहीं हैं. यह समान शक्ति के बारे में हैं.
लड़कियाँ आज हर क्षेत्र में अपना नाम रौशन कर रही हैं, यह उनके माता-पिता के ऊँची सोच का नतीजा हैं.
हर लड़की एक सपना देख सकती हैं और उसे पूरा कर सकती हैं. सिर्फ़ उसे उसके माता-पिता का सहयोग चाहिए.
लड़कियों में हमेशा इक बचपना छुपा होता हैं इसलिए माँ-बाप को हमेशा उनकी देखभाल करनी चाहिए.
एक शिक्षित लड़की ही एक शिक्षित माँ बनती हैं और एक शिक्षित माँ सभ्य समाज के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती हैं.
संकीर्ण भावनाएं और सोच ही लड़कियों के व्यक्तित्व के विकास में बाधक हैं.
वह समाज सबसे ज्यादा प्रगति करता हैं जो लड़का-लड़की और जाति-पाति की भावनाओं से ऊपर उठकर सोचता हैं.
भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी थी, जिनका जीवन समाज को यह संदेश देता हैं कि एक लड़की क्या कर सकती हैं.
लड़कियों का आत्मनिर्भर और शिक्षित होना, उनकी अपनी सुरक्षा, स्वतंत्रता और सम्मान को बढ़ाता हैं.
माँ-बाप पर लड़कियाँ बोझ नहीं होती हैं जबकि रूढ़िवादी दहेज रुपी सोच उनपर एक बोझ हैं.
ना तो पुरूष प्रधान समाज अच्छा होता हैं और ना ही नारी प्रधान समाज अच्छा होता है. समाज समानता का होना चाहिए.
भारतीय दर्शन में लड़कियों को काफी महत्व दिया हैं इसलिए उन्हें लक्ष्मी का रूप कहा जाता हैं.
यदि पुरूष मानसिकता की बात करें तो वो नारी को सम्मान देने में हमेशा ससंकित रहा हैं.
This picture was submitted by Smita Haldankar.
Tag: Smita Haldankar