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अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥२॥
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥३॥
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥४॥
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥५॥
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥६॥
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं।
दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥७॥
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥८॥
जीवन” में “तकलीफ़“ उसी को आती है,
जो हमेशा
“जवाबदारी“
उठाने को तैयार रहते है,
और जवाबदारी लेने वाले
कभी हारते नही,
या तो “जीतते” है,
या फिर “सिखते” है.
“हिम्मत से हारना,
पर हिम्मत मत हारना ”
Good Morning
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥
हे नाथ नारायण…॥
एक मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥
हे नाथ नारायण…॥
॥ श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी…॥
शुभ प्रातः वंदन जय श्री कृष्ण
ज़िन्दगी में एक ऐसे इंसान का होना बहुत ज़रूरी है ||
जिसको दिल का हाल बताने के लिए, लफ़्ज़ों की जरुरत न पड़े ||
शुभ प्रभात जय श्री कृष्ण
वो तैरते-तैरते डूब गए,
जिन्हें खुद पर गुमान था,
और वो डूबते डूबते भी तैर गए
जिनपर खुदा मेहरबान था।
शुभ प्रभात जय श्री कृष्ण
“जिस तरह थोड़ी सी औषधि भयंकर रोगों को शांत कर देती है, उसी तरह ईश्वर की थोड़ी सी स्तुति बहुत से कष्ट और दुखों का नाश कर देती है।”
श्रीकृष्ण गोविंद हे राम नारायण, श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे।
अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज, द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक।।
भावार्थ- हे कृष्ण, हे गोविन्द, हे राम, हे नारायण, हे रमानाथ, हे वासुदेव, हे अजेय, हे शोभाधाम, हे अच्युत, हे अनन्त, हे माधव, हे अधोक्षज ( इंद्रियातीत), हे द्वारकानाथ, हे द्रौपदीरक्षक मुझ पर कृपा कीजिये।
सुप्रभात
मूकं करोति वाचालं पंगु लंघयते गिरिम्। यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्।।
भावार्थ – जिनकी कृपा से गूंगे बोलने लगते हैं, लंगड़े पहाड़ों को पार कर लेते हैं, उन परम आनंद स्वरुप श्रीमाधव की मैं वंदना करता हूँ॥ ॐ ॐ ॐ
ॐ भगवते वासुदेवाय नमो नम:
श्री कृष्णाय नमस्तुभ्यं
वासु देवाय ते नम :
प्रणत क्लेश नाशाय :
गोविन्दाय नमो नम
अच्युतं केशवं राम नारायणं
कृष्ण दामोदरं वासुदेवं हरि
श्रीधरं माधवं गोपिका वल्लभं
जानकी नायकं राम चंद्रं भजे॥
॥ सुप्रभात ॥
मन अक्सर कहता है
” ईश्वर ” से कुछ मांग ले
आत्मा रोक देती है यह कहकर कि
प्रभु ने जितना दिया है
क्या में उसके काबिल भी था
सुप्रभात
हे कान्हा, हे गिरधर गोपाल..
करूँ मैं तुझसे बस एक ही बिनती….
आजादी की कभी शाम न होने पाए,
शहीदों की कुर्बानी बदनाम न होने पाए,
भारतीयों की नस नस में बची हो जो एक बूंद भी गरम लहू की,
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम न होने पाए!
सुप्रभात ☀ जय श्री कृष्ण
भारत माता की जय
सुप्रभात
बैरागी बने तो जग छूटे,
सन्यासी बने तो छूटे तन,
कान्हा (कृष्ण) से प्रेम हो जाये
तो छूटे आत्मा के सब बन्धन.
सुप्रभात मित्रो
भक्ति में भक्त का झुकना अनिवार्य होता है
तभी भगवन को भक्त स्वीकार्य होता है।
उस दिन हमारी सारी
परेशानियां खत्म हो जाएंगी,
जिस दिन हमें यह यक़ीन
हो जाएगा की..
हमारा हर काम ईश्वर की
मर्ज़ी से होता है!
सुप्रभात शुभ दिन
जय श्री कृष्ण
सुख भी मुझे प्यारे है, दुःख भी प्यारे है
छोड़ू मैं किसे..प्रभु.. दोनों ही तुम्हारे है
सुख में तेरा शुक्र करू, दुःख में फ़रियाद करूँ
जिस हाल में तू रखे मुझे, मैं तुम्हे याद करू
जय श्री कृष्ण
सुप्रभात जय श्री कृष्ण
सरे जग को देनेवाले, में क्या तुज़को भेंट चढ़ाउ।
जिसके नाम से आये खुशबु, में क्या उसको फूल चढाऊँ।
वो तैरते तैरते डूब गए, जिनको खुद पर गुमान था।
और वो डूबते डूबते भी तर गए, जिन पर तू मेहरबान था।
सुप्रभात ..!! जय श्री कृष्णा..!!
सब कुछ हासिल नहीं होता सफर-ए-ज़िन्दगी में यहाँ,
किसी का “काश” तो…किसी का “अगर” छूट ही जाता है…!!
खुबसूरत रिश्ता है ‘मेरा और खुदा’ के बीच में,
ज्यादा मैं मांगता नहीं और…कम वो देता नही….!!
इंसान अपना वो चेहरा
तो खूब सजाता है,
जिस पर
लोगों की नज़र होती है
मगर आत्मा को सजाने की
कोशिश कोई नही करता, जिस पर
परमात्मा की नजर होती हैं
सुप्रभात
जय श्री कृष्ण
ॐ भगवते वासुदेवाय नमो नम:
श्री कृष्णाय नमस्तुभ्यं
वासु देवाय ते नम :
प्रणत क्लेश नाशाय :
गोविन्दाय नमो नम अच्युतं
केशवं राम नारायणं कृष्ण
दामोदरं वासुदेवं हरिम्श्रीधरं
माधवं गोपिका वल्लभं जानकी
नायकं राम चंद्रं भजे ॥
॥सुप्रभात॥
सुप्रभात!
मुझे तैरने दे या फिर बहना सिखा दे |
अपनी रजा में अब तू रहना सिखा दे ||
मुझे शिकवा ना हो कभी भी किसी से
मुझे सुःख और दुःख के पार जीना सिखा दे ||
जय श्री कृष्ण
This picture was submitted by Smita Haldankar.
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