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हरी हरी वसुंधरा पे नीला नीला ये गगन
के जिस पे बादलों की पालकी उड़ा रहा पवन
दिशायें देखो रंगभरी, चमक रही उमंगभरी
ये किस ने फूल फूल पे किया सिंगार हैं
ये कौन चित्रकार हैं, ये कौन चित्रकार
ये कौन चित्रकार हैं …
तपस्वीयों सी हैं अटल ये पर्वतों की चोटियाँ
ये सर्प सी घूमेरदार, घेरदार घाटियाँ
ध्वजा से ये खड़े हुये हैं वृक्ष देवदार के
गलिचे ये गुलाब के, बगीचे ये बहार के
ये किस कवी की कल्पना का चमत्कार हैं
ये कौन चित्रकार हैं …
कुदरत की इस पवित्रता को तुम निहार लो
इस के गुणों को अपने मन में तुम उतार लो
चमकालो आज लालिमा, अपने ललाट की
कण कण से झाँकती तुम्हें, छबि विराट की
अपनी तो आँख एक हैं, उस की हज़ार हैं
ये कौन चित्रकार हैं …
Happy Earth Day 🙂
This picture was submitted by Smita Haldankar.
Tag: Smita Haldankar