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आशिक़ों के महबूब के पैरो की धूल हूँ
हाँ मैं एक लाल गुलाब का फूल हूँ
होठों जैसे पंखुड़ियाँ मेरी कोमल
काँटों से बच के ज़रा कहीं हो न जाओ घायल
मैं तोहफा बनकर पहुँच जाता हूँ जहाँ
मुझे देख मुस्कुरा देता है सारा जहां
Happy Rose Day
This picture was submitted by Smita Haldankar.
Tag: Smita Haldankar