Jaha Daya Taha Dharm Hai, Jaha Lobh Taha Pap

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जहाँ दया तहाँ धर्म है,जहाँ लोभ तहाँ पाप ।
जहाँ क्रोध तहाँ पाप है, जहाँ क्षमा तहाँ आप ॥

अर्थ :
जहाँ दया-भाव है, वहाँ धर्म-व्यवहार होता है। जहाँ लालच और क्रोध है वहाँ पाप बसता है। जहाँ क्षमा और सहानुभूति होती है, वहाँ भगवान् रहते हैं।

This picture was submitted by Smita Haldankar.

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