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बासमती चावल बेचने वाले एक सेठ की स्टेशन मास्टर से साँठ-गाँठ हो गयी….सेठ को आधी कीमत पर बासमती चावल मिलने लगा….
सेठ ने सोचा कि इतना पाप हो रहा है…तो कुछ धर्म – कर्म भी करना चाहिए….
एक दिन उसने बासमती चावल की खीर बनवायी और किसी साधु बाबा को आमंत्रित कर भोजनप्रसाद लेने के लिए प्रार्थना की….
साधु बाबा ने बासमती चावल की खीर खायी…दोपहर का समय था…
सेठ ने कहा….महाराज – अभी आराम कीजिए…थोड़ी धूप कम हो जाय फिर पधारियेगा….साधु बाबा ने बात स्वीकार कर ली….
सेठ ने 100-100 रूपये वाली 10 लाख जितनी रकम की गड्डियाँ उसी कमरे में चादर से ढँककर रख दी…
साधु बाबा आराम करने लगे….
खीर थोड़ी हजम हुई…साधु बाबा के मन में हुआ कि इतनी सारी गड्डियाँ पड़ी हैं….
एक – दो उठाकर झोले में रख लूँ तो किसको पता चलेगा ???….
साधु बाबा ने एक गड्डी उठाकर रख ली….
शाम हुई तो सेठ को आशीर्वाद देकर चल पड़े….
सेठ दूसरे दिन रूपये गिनने बैठा तो 1 गड्डी ( दस हजार रुपये ) कम निकली…
सेठ ने सोचा कि महात्मा तो भगवतपुरुष थे… वे क्यों लेंगे ???….
नौकरों की धुलाई-पिटाई चालू हो गयी….
ऐसा करते-करते दोपहर हो गयी…
इतने में साधु बाबा आ पहुँचे तथा अपने झोले में से गड्डी निकाल कर सेठ को देते हुए बोले – नौकरों को मत पीटना…गड्डी मैं ले गया था….
सेठ ने कहा – महाराज…आप क्यों लेंगे ???
जब यहाँ नौकरों से पूछताछ शुरु हुई तब…कोई भय के मारे आपको दे गया होगा….और आप नौकर को बचाने के उद्देश्य से ही वापस करने आये हैं क्योंकि साधु तो दयालु होते है….
साधु – यह दयालुता नहीं है….मैं सचमुच में तुम्हारी गड्डी चुराकर ले गया था….
साधु ने कहा – सेठ…तुम सच बताओ कि तुम कल खीर किसकी और किसलिए बनायी थी ???…..
सेठ ने सारी बात बता दी कि स्टेशन मास्टर से चोरी के चावल खरीदता हूँ….उसी चावल की खीर थी….
साधु बाबा – चोरी के चावल की खीर थी….इसलिए उसने मेरे मन में भी चोरी का भाव उत्पन्न कर दिया….
सुबह जब पेट खाली हुआ…तेरी खीर का सफाया हो गया….तब मेरी बुद्धि शुद्ध हुई कि…..हे भगवन…. यह क्या हो गया ???….
मेरे कारण बेचारे नौकरों पर न जाने क्या बीत रही होगी….इसलिए तेरे पैसे लौटाने आ गया…
दोस्तो….इसीलिए कहते हैं कि….
जैसा खाओ अन्न..वैसा होवे मन….
जैसा पीओ पानी..वैसी होवे वाणी..
This picture was submitted by Dipal Maru.
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