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कितनी खूबसूरत सी
अपनों की महफ़िल सजी थी….
किन्तु सबके बीच…ख़ामोशी…..
दीवार बनकर खड़ी थी….
किसी की भी ज़ुबां….उसका….
साथ देने को तैयार न थी….
सभी ने जैसे…
मौन की चादर ओढ़ रखी थी….
सभी के होंठों पर….
अहंकार की ज़ंज़ीर बंधी थी….
शायद इस अहंकार के….
ताले की चाबी….कहीं नहीं थी….
” ए इंसान “….
” मत करना कभी भी….ग़ुरूर….
अपने आप पर…..Kyunki….
मेरे रब ने….तेरे और मेरे जैसे….
कितने….मिटटी से बना के….
मिटटी में मिला दिए….
Its True….Keep Smiling…Njoyy Life….
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