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शुभ प्रभात जय श्री हरि विष्णु मोहिनी रूप 🌹🙏
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी आती है। कहते हैं कि विष्णु भगवान ने समुद्र मंथन के समय देवताओं को अमृत का पान कराने के लिए मोहिनी रूप धरा था। इसी वजह से इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।
भगवान विष्णु क्यों लेना पड़ा मोहिनी का स्वरूप
एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन की प्रक्रिया चल रही है. मंथन से जब अमृत कलश निकला तो उसे असुरों ने ले लिया. इससे देवताओं और असुरों के बीच तनाव और विवाद की स्थिति पैदा हो गई. इस स्थिति को देखते हुए तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धरा और असुरों के बीच पहुंच गए.
भगवान विष्णु के मोहिनी रूप पर असुरा मोहित हो उठे और अमृत कलश उनके हाथों में सौंप दिया. जिसे बाद में भगवान विष्णु ने सभी देवताओं को पिता दिया. जिससे देवतागण अमर हो गए.
ऐसी मान्यता है कि यह एकादशी सभी पापों को को दूर कर अंत में मोक्ष प्रदान करती है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य सभी दुखों से दूर होकर अंत में बैकुंठ धाम को जाता है। इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की अराधना करनी चाहिए। रात्रि के समय श्री हरि का स्मरण करते हुए, भजन कीर्तन करते करना चाहिए।
This picture was submitted by Smita Haldankar.
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