Na Yeh Sharir Tumhara Hai, Na Tum Sharir Ke Ho

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न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो।
यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है
और इसी में मिल जायेगा।
परन्तु आत्मा स्थिर है फिर तुम क्या हो?

This picture was submitted by Smita Haldankar.

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