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सहने को बहुत है तेरे अपने गम,
फिर क्यों दर्द प्यार के समेटे हुए है तू दिल?
बहने को अश्क अश्क छलके है,
फिर क्यों आँखो में दरिया लपेटे हूए है तू दिल?
जिदंगी युं भी मुश्किल सी है,
फिरक्यों किसी महफिल की आरजू करता है तू दिल?
जब खुद पर ही नहीं यकीन,
तो फिर क्यों किसी भरोसे की उम्मीद करता है तू दिल?
कट ही जाएगी रात जिदंगी की खामोशी से,
फिर क्यों इस तरह सिसकता है तू दिल?
छिपाकर अब तक रखे हैं हर जज्बात सीने में,
फिर क्यों आज बैचेनी में बिखरता है तू दिल? 🙂
This picture was submitted by Smita Haldankar.
Tag: Smita Haldankar