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विश्व मानवाधिकार दिवस
रखते हैं जो औरों के लिए प्यार का जज्बा
वो लोग कभी टूट कर बिखरा नहीं करते
मानवाधिकार आयोग का असर कम नजर आता है,
आज भी छोटू मुझे चाय की दुकान पर नजर आता है.
कभी मत छीनो इंसान के बुनियादी अधिकार,
नफ़रत हारेगी जब बढ़ेगा इस दुनिया में प्यार.
जनता में जागरूकता बहुत ज्यादा दूरी है,
इसलिए मानवाधिकार आयोग बहुत जरूरी है.
नई मंज़िल नया जादू उजाला ही उजाला
दूर तक इंसानियत का बोल-बाला
मोहम्मद अली असर
मज़हबी बहस मैंने की ही नहीं
फ़ालतू अक़्ल मुझमें थी ही नहीं
अकबर इलाहाबादी
आदमी का आदमी हर हाल में हमदर्द हो
इक तवज्जोह चाहिए इंसाँ को इंसाँ की तरफ़
हफ़ीज़ जौनपुरी
क़त्ल इंसानियत का करते हैं
भेड़िये आदमी की खालों में
मुक़द्दस मालिक
वो आदमी ही तो इंसानियत का दुश्मन है
जो कह रहा है कि इंसाँ है कौन मेरे सिवा
शमीम करहानी
मानवाधिकार दिवस शायरी
कहाँ हर एक से इंसानियत का बार उठा
कि ये बला भी तिरे आशिक़ों के सर आई
फ़िराक़ गोरखपुरी
इंसानियत की तीरगी हो दूर इस लिए
क़ानून की किताब में जलता रहा हूँ में
मजीद मैमन
सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं
जिस को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं
सुदर्शन फ़ाख़िर
क्या क्या ग़ुबार उठाए नज़र के फ़साद ने
इंसानियत की लौ कभी मद्धम न हो सकी
आल-ए-अहमद सूरूर
ख़ारिज इंसानियत से उस को समझो
इंसाँ का अगर नहीं है हमदर्द इंसान
तिलोकचंद महरूम
जिस इंसान के हृदय में इंसानियत जन्म लेती है,
वो इंसान के रूप में देवता तुल्य होता है.
वेद प्रकाश ‘वेदान्त’
This picture was submitted by Smita Haldankar.
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