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शुभ रात्रि
प्रेम हीं इस संसार का बीज है तथा वही अंकुर भी है।वह आंख और वही इस ब्रम्हांड का आधार भी हैै।समस्त डालपात भी प्रेम का हीं प्रस्फुटन है।जगत प्रेम का हीं ब्यापक स्वरुप है।
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