बीते पल अब यादों का हिस्सा हैं
आगे खुशियों का नया फ़रिश्ता हैं
बाहे फैलाये करो नए साल का दीदार
आया हैं आया गुड़ी का त्यौहार
मधुर संगीत का साज खिले
हर एक पल खुशियाँ ही खुशियाँ मिले
दिया बाती से सजाओ गुड़ी का यह पर्व
ऐसे ही रोशन रहे यह नव वर्ष
चुलबुला सा प्यार सा बीते यह साल
नव वर्ष में हो खुशियों का धमाल
गणगोर माता का मिले आशीष
इसी दुआ में झुकाते हैं शीष
हर एक दिन हो मुस्कान से खिला
छाई रहे खुशियों की मधुर बेला
गुड़ी पड़वा की हैं अनेक कथाये
गुड़ी ही विजय पताका कहलाये
पेड़ पौधों से सजता हैं चैत्र माह
इसलिए हिन्दू धर्म में यह नव वर्ष कहलाये
हिंदू नव वर्ष की हैं शुरुवात
कोयल गाये हर डाल- डाल पात-पात
चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा का हैं अवसर
खुशियों से बीते नव वर्ष का हर एक पल
आई हैं बहारे, नाचे हम और तुम
पास आये, खुशियाँ और दूर जाए गम
प्रकृति की लीला हैं छाई
सभी को दिल से गुड़ी पड़वा की बधाई
वृक्षों पर सजती नये पत्तो की बहार
हरियाली से महकता प्रकृति का व्यवहार
ऐसा सजता हैं गुड़ी का त्यौहार
मौसम ही कर देता नववर्ष का सत्कार
शाखों पर सजता नये पत्तो का श्रृंगार
मीठे पकवानों की होती चारो तरफ बहार
मीठी बोली से करते, सब एक दूजे का दीदार
चलो मनाये हिन्दू नव वर्ष इस बार
घर में आये शुभ संदेश
धरकर खुशियों का वेश
पुराने साल को अलविदा हैं भाई
हैं सबको नवीन वर्ष की बधाई