माटी से मूरत गढ़े, सद्गुरु फूंके प्राण। कर अपूर्ण को पूर्ण गुरु, भव से देता त्राण।। शुभ गुरु पूर्णिमा!
संस्कार की सान पर, गुरु धरता है धार। नीर-क्षीर सम शिष्य के, कर आचार-विचार।। शुभ गुरु पूर्णिमा!
गुरु को पारस जानिए, करे लौह को स्वर्ण। शिष्य और गुरु जगत में, केवल दो ही वर्ण।। शुभ गुरु पूर्णिमा!
गुरु से भेद न मानिये, गुरु से रहें न दूर। गुरु बिन ‘सलिल’ मनुष्य है, आँखें रहते सूर।। शुभ गुरु पूर्णिमा!
गुरु वही श्रेष्ठ होता है जिसकी प्रेरणा से किसी का चरित्र बदल जाये और मित्र वही श्रेष्ठ होता है जिसकी संगत से रंगत बदल जाये। हैप्पी गुरु पूर्णिमा!
गुरु तुम्हें कुछ देता नहीं है, वो तुम्हें पैदा करता हैं। शुभ गुरु पूर्णिमा!
गुरु बिना ज्ञान नहीं, ज्ञान बिना आत्मा नहीं। शुभ गुरु पुर्णिमा!