✐ इमाम का होशाला
इस्लाम बना गया
अल्लाह के लिए उसका फ़र्ज़
आवाम को धर्म सिखा गया.
✐ जन्नत में जन्नत के हकदार जायेंगे,
कसम अली की अली की हुब्दार जायेंगे,
दर-इ-जनत पे खरी ज़ेहरा कहती हैं,
जन्नत में मेरे लाल के अज़ादार जायेंगे.
✐ आंखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे,
ताबीर में इमाम का जलवा दिखायी दे,
ए! इब्न-ऐ-मुर्तजा,
सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे।
✐ क्या हक़ अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पे क़र्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैला कर मांग लो मोमिनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का.
✐ फिर आज हक़ के लिए जान फिदा
करे कोई वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा
करे कोई नमाज़ 1400 सालों से
इंतज़ार में है हुसैन की तरह मुझे.
✐ करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने
ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने
लहू जो बह गया कर्बला में
उसके मकसद को समझो तो कोई बात बने
✐ न हिला पाया वो रब की मैहर को
भले जीत गया वो कायर जंग
पर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआ
वही था असली और सच्चा पैगम्बर.
✐ सिर गैर के आगे ना झुकाने वाला
और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला.
✐ क्या हक़ अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पे क़र्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैला कर मांग लो मोमिनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का.
✐ अपनी तक़दीर जगाते है तेरे मातम से
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से
अपने इज़हार-ए-अक़ीदत का सिलसिला ये है
हम नया साल मनाते है तेरे मातम से.
✐ ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहाँ
सज़दा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने
सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया
असगर सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने.
✐ दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया
जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया
हर जर्रे को नज़फ का नगीना बना दिया
हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया.
✐ यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का
कुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन का
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ले
महंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का.
✐ एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी जमीन
है मेरे नसीब में परचम हुसैन का
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख
होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का।
✐ फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई,
वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई,
नमाज़ 1400 सालों से इंतज़ार में है,
हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई।