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साईं बाबा जयंती स्टेटस

बाबा जी बिन तेरे दिल को समझाऊँ
कैसे ये दिल तो आपके पास है बाबा
बाबा जी आना चाहूँ तेरे पास तो आंऊ
कैसे मेरी हर सांस अमानत है
तेरी इस से ज्यादा और क्या कहुं बाबा
हम किस कद्र तुमसे प्यार करते है
ये मैं कैसे बताऊ बाबा..!
ॐ साई राम!!

किसी ने पूछा कि “उम्र” और “जिन्दगी” में
क्या फर्क है ?
बहुत सुन्दर जवाब…
जो बाबाजी के बिना बीती
वो “उम्र” और
जो बाबाजी के साथ बीती
वो “जिन्दगी”…. ”
ॐ साई राम!!

जिसे कोई नहीं जानता उसे रब जानता हे,
राज़ को राज़ ना रहने दो वो सब जानता हे,
अगर मांगना हे तो उस साईं से मांगो,
जो जुबां पे आने से पहले दिल की दुआ जानता हे.
जय साईनाथ.
ॐ साई राम!!!

देख लेता हूँ तस्वीर तेरी,
जब भी परेशान होता हूँ,
मानो महज तस्वीर से ही,
तू मेरे दर्द खींच लेता है!!!
ॐ साई राम!!

ॐ साई राम….सबका मालिक एक….
आंधियो में भी ना बूझुँ…..
वो उजाला हो जाऊ…..
तुम जो नवाजो तो….
जुगनू से सितारा हो जाऊ….
मै कतरा हूँ….
मुझे ऐसी रहमत बक्शो मेरे साई….
कोई गर प्यासा नजर आये….
तो मै दरिया हो जाऊ….

ॐ साई राम….सबका मालिक एक….
|| श्रध्दा || || सबुरी ||
अभिमान को आने मत दो….
और….स्वाभिमान को जाने मत दो….
अभिमान तुम्हें उठने नहीं देगा…
और….स्वाभिमान तुम्हे गिरने नहीं देगा….
जिसकी नीति अच्छी होगी….उसकी हमेशा उन्नति होती है!

साईं हमारा….हम साईं के……
साईं हमें यही बतलाते है……
ऐ बंदे दो दिन का है जीवन तेरा……
फिर क्यूँ तू पाप कमाता है……
यह कर्मों का संसार है……
डरने की क्या बात है……
सदा सफलता तुम्हारे पास रहेगी…..
गर सच्चाई – ईमानदारी तुम्हारे साथ है….

जो कल था उसे भूलकर तो देखो,
जो आज है उसे जी कर तो देखो,
आने वाला पल खुद ही सवर जायेगा,
एक बार ॐ साई राम बोल कर तो देखो…
OM SAI RAM!

शिरडी वाले साईं बाबा
तेरे दर पर आना चाहता है
सवाली लब पे दुवायें भी है
आखों में आसुं भी है
बुला लो बाबा इस सवाली को शिरडी..!!

करता हूँ फरियाद “साई”
बस इतनी रहमत कर देना,
जो भी पुकारे तुझको बाबा,
खुशियों से उसकी झोली भर देना…
“ॐ श्री साई राम!”

“तेरी किस्मत का लिखा तुझसे
कोई ले नहीं सकता,
अगर उसकी रेहमत हो तो,
तुझे वो भी मिल जायेगा,
जो तेरा हो नहीं सकता…”
ॐ साई राम!

मेरे साई….
सुख भी मुझे प्यारे है….दुःख भी प्यारे है….
छोड़ू मैं किसे….प्रभु….दोनों ही तुम्हारे है…..
सुख में तेरा शुक्र करू….दुःख में फ़रियाद करूँ….
जिस हाल में तू रखे मुझे….मेरे साई…मैं बस तुम्हे याद करू…ॐ साई राम!!

साईं तुम हो मेरे दीन-बन्धु, मात-पिता चरणों में तेरे हरपल हो मेरा नमन
आप दे दो मुझे शक्ति अपार बाबा, तुम दे दो मुझे भक्ति अपार बाबा।

जो कोई सुनता साईं बाबा के वचन, जीवन को करते प्रभु पर समर्पण,
जो भी करता अपने साईं से सच्चा प्यार, रहती सदा जीवन में सुख की बहार।

कौन कहता हैं तेरे दर से मांगने वाला गरीब होता हैं,
जो तेरे दर तक पहुंच जाएँ, वो सबसे बड़ा खुशनसीब होता हैं।

ना मुस्कुराने को जी चाहता हैं, ना आँसू बहाने को जी चाहता हैं,
लिँखू तो क्या लिखू सांई तेरी याद में, बस तेरे पास आने को जी चाहता हैं।

साईं बाबा जयंती शुभकामना संदेश

बाबा जी मेरा भी खाता खोल दो शिरडी दरबार में,
बाबा जी आता जाता रहूँ मैं शिरडी की पवित्र भूमी पर
बाबा जी जो भी सेवा हो मेरी लगा देना
बस अपने ~चरणों का दास बना कर
शिरीडी में रख लेना जय हो बाबा जी की..!
साईं बाबा जयंती की हार्दिक शुभ कामनाए!

साई कहते है,
अगर कोई भक्त मेरा ध्यान करता है,
मेरे नाम का स्मरन करता है,
और मेरे तप का गुणगान करता है,
तो इसमें उसका उद्धार निश्चित है,
इस तरह वह कर्म से मुक्त हो जाता है,
और मैं सदा उसके साथ रहता हूँ…

दुःख हो या फिर सुख हो, सांई जी को हमेशा याद करो, सहारा हैं साईं जी हम सबका, बाबा से ही फरियाद किया करो,
चिन्ता चिता समान हैं, चिंता में ना अपना समय बरबाद करो, कैसे भी हो हालात सांई जी पर ही विश्वास करो।
साईं बाबा जयंती की हार्दिक शुभ कामनाए!

ॐ साई राम….सबका मालिक एक….
आओ..
साई बाबा से हम दुआं मांगे….
जीने की एक नयी राह मांगे….
अपने लिए तो बहुत मांगा होगा…
चलो आज…
सभी के लिए दुआं मांगे….
साईं बाबा जयंती की हार्दिक शुभ कामनाए!

देख ले भज कर साई साई
साईया दौड़े आते हैं.
काम अधूरे जीवन के
साईया खुद कर जाते है.
डोर सौंप के देख ले पगले,
संकट सब टल जाते हैं.
काम अधूरे जीवन के सब,
साईया खुद कर जाते हैं!
साईं बाबा जयंती की हार्दिक शुभ कामनाए!

ॐ साई राम…सबका मालिक एक….
चाह अगर उनकी मुस्कान की होगी….
तो मेरे ” साई ” मुस्कुराएँगे जरुर….
प्यार अगर दिल से करोगे…..
तो मेरे ” साई ” निभाएँगे जरुर….
कितने भी काँटे क्यूँ न हो राहों में….
आवाज अगर दिल से दोगे तो…
मेरे ” साई ” आएंगे ज़रूर…..
साईं बाबा जयंती की हार्दिक शुभ कामनाए!

ऐसा चढ़ा साई तेरी प्रीत का रंग,
के डूब गए तेरी भक्ति के रंग में..
चढ़ी रहे तेरे भक्ति की खुमारी,
छाया रहे तेरे नाम का सरूर…
बोलो श्री साई नाथ महाराज जी की जय!
साईं बाबा जयंती की हार्दिक शुभ कामनाए!

मेरे “साँई” का~ दरबार सबसे न्यारा है,
उसमें “बाबा” का दर्शन कितना प्यारा है,
सब कहते हैं के “बाबा” सिर्फ़ हमारा है,
पर “बाबा” कहते हैं के मैंने अपना, सब कुछ तुम~ सब पर वारा है.!!
Om Sai Ram Jai Sai Ram
साईं बाबा जयंती की हार्दिक शुभ कामनाए!

साईं बाबा जयंती शायरी

जिन आँखों में साईं बस जायेंगे
उन आँखों में अश्क कहाँ से आयेंगे?
साईं नहीं होने देते अपने बच्चों को उदास
आ जाते हैं झट से अपने बच्चों के वो पास!

तेरी रहमतों से बाबा सब को मिले सहारे
हम पर भी दया करना, हम भी तो हैं तुम्हारे
सिर पे जो हाथ रख दो, भर जाते हैं भंडारे
भक्ति की दौलत दो, हो जाये वारे न्यारे
एक ही नाम : साईं राम
!! ॐ श्री साईंनाथाय नम: !!

ऐसा चढ़ा साईं तेरी प्रीत का रंग,
के डूब गए तेरी भक्ति के रंग में,
चढ़ी रहे तेरे प्यार की खुमारी,
छाया रहे तेरे नाम का सरूर…
बोलो श्री साईं नाथ महाराज जी की जय!

क्यों रो रहा है पोंछ आँसू सब्र(सबुरी) से तू काम ले,
सच्चे हृदय से साईं के चरण बस थाम ले,
श्रद्धा से जो डूब गया साईं जी के प्यार में,
होंगी मुरादें पूरी तेरी सब साईंनाथ के दरबार में..!!!
ॐ साई राम!!

आखें सुनी मन रोता है
बाबा हमारा क्युं सोता है
खोल के आखें देख ले बाबा
तेरे बिना यहाँ क्या होता है
लौट के आजा साईं हमारे
अपनी आखें खोलो
साईं बाबा बोलो
साईं बाबा बोलो

जिस पे भी हाथ रख दे मेरा साईं फकीरा,
वो पत्थर भी बन जाये पल में नायाब हीरा!

साई कहते है,
पल में अमीर है, पल में फ़क़ीर है,
अच्छे करम कर ले बन्दे,
ये तो बस तक़दीर है..
जो कुछ मिला है तुझे तेरा करम है,
तुने बहुत कमाया ये तेरा भरम है,
ये तो विधाता की खींची लकीर है,
पल में अमीर है, पल में फ़क़ीर है…

पितृ पक्ष कविता

🙏🌹🙏
*पितर जी को पुष्पांजलि*
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
🙏पितर चरण में नमन करें,
ध्यान धरें दिन रात ।
कृपा दृष्टि हम पर करें,
सिर पर धर दें हाथ ॥

🙏ये कुटुम्ब है आपका,
आपका है परिवार ।
आपके आशिर्वाद से,
फले – फूले संसार ॥

🙏भूल -चूक सब क्षमा करें,
करें महर भरपूर ।
सुख सम्पति से घर भरें,
कष्ट करें सब दूर ॥

🙏आप हमारे हृदय में,
आपकी हम संतान ।
आपके नाम से हैं जुड़ी,
मेरी हर पहचान ॥

🙏आपका ऋण भारी सदा,
नहीं चुकाया जाय ।
सात जनम भी कम पड़े,
वेद पुराण बताय;॥

🙏हर दिन हर पल आपसे,
माँगे ये वरदान ।
वंश बेलि बढती रहे,
बढ़े मान सम्मान ॥

🙏घर पैण्डे में आप बिराजें,
ये ही अरज करें ।
कहत भक्त हम शरण आपके,
निशदिन मेहर करें ॥
~~~ *पितरजी को नमन* ~~~
*🙏🌹 🌹🙏*
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

पितृ पक्ष संदेश

“श्राद्ध खाने नही आऊंगा कौआ बनकर
जो खिलाना है अभी खिला दे”
_वृद्ध पिता

ज़िंदा रहते में दो वक़्त की रोटी उन बूढो को नसीब न हुई
आज ज़माना उनके नाम पे कौवो को खाना खिला रहे है

कौवों और पंडों की क्षुधा पुर्ण करके स्वर्ग पहुंचाया जा रहा है खाना
यह सब देखकर जाने से पहले त्वरित डाक भी बनाने लगे हैं बहाना
बोलते हैं हम तो तुरंत जाते हैं फिर भी बहुत देर हो जाती है
क्यों नहीं उसी प्रणाली से डाक व्यवस्था बहाल की जाती है

चलो पितृपक्ष के बहाने ही सही..
इस भागदौड भरी जिंदगी से कुछ समय हम/आप अपने पितरों का पूजा करते उनको याद करते हैं.. उनके नाम से दान-पुण्य और जरूरत का सामान पँडित या किसी जरूरतमंद को देते हो। लेकिन मेरे मानना है ये पुण्य आपको तभी लगेगा जब आपने अपने पितरों की जीते-जी उनको कोई दुख ना पहुँचाया हो, उनको बोझ ना समझा हो…..
अर्थात अगर आप आज अपने घर के बड़े बूढों के साथ समय व्यतीत करे उनको ये एहसास ना होने दे कि वो बूढ़े है,, अब उनको आपकी नही… बल्कि आपको आज भी, उनकी जरूरत है। ये सब करोगे वही सबसे पुण्य होगा और यही फलदायक होगा….
” सही मायने मे तर्पण है।”

इज्जत भी मिल सी
दोलत भी मिल सी
सेवा करो मां बाप री
जन्नत भी मिल सी

ये पितृपक्ष भी न जाने कितनी
यादों को संग लाती है
पापा संग बिताये पल और मनुहार
तिल-तिल सजा जाती है
यूँ लगता है कि वो दूर हैं
फिर भी पास है मेरे
तर्पण करती हूँ अंजुलि भर
अपने आंसुओं से मेरे

ओ पितृपुरुष!!
आप सदैव विद्यमान हैं
इस घर के प्रत्येक कोने में
प्रत्येक वस्तु-स्थान में
कण कण में जल-स्थल में
विषय-आशय अपरा-परा में
आज भी निहित है
आप इस घर की शिक्षा-दीक्षा
संस्कार-संस्कृति में
देव-स्वरूप विद्यमान हैं
आप हर स्थिति में
हे पितृपुरुष!!
आप सभी विपत्तियों से
हमेशा बचाव करें
आपको इस वर्ष के लिए
अश्रुपूर्ण विदाई🙏🙏🙏

वो समय निष्ठुर था
पर जाना आपका भी निश्चित था
विधाता के समक्ष
समय का हारना सुनिश्चित था
श्रद्धा सुमन से
वंदना करूँ मैं आपके चरणों की
आप जहां भी रहें
खुश रहें यही कामना मेरी

परंपराओं में भी दोहरी मानसिकता
आस्तिक नहीं अपनाया नास्तिकता
पुरुषों के लिए श्राद्ध तर्पण पिंडदान
स्त्रियों का किया, यहाँ घोर अपमान
पुत्र भूला, सभ्यता-संस्कृति-संस्कार
पुत्रियों ने निभाई सांस्कृतिक परंपरा

खंड-खंड सामाजिक ताना-बाना को नव सृजित करना होगा
पुत्रियों का भी स्थान,, पुत्र सम समाज में निहित करना होगा
नहीं तो, एक दिन विद्रोह यह प्रबल होगी
हम चुनेंगे अपना स्थान जो अव्वल होगी

शबे-बारात में जैसे नूर उतरकर है आया
इस तरह श्राद्ध–पितृपक्ष दस्तूर है आया
पितरों पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान
भक्ति, शक्ति, मुक्ति युक्ति तृप्ति महादान

पुत्र ही देगा मुखाग्नि पिंड तर्पण और मोक्ष
पुरुष-प्रधान समाज की गढ़ी हुई है ये सोच
राजा यज्ञ करवाते हैं पुत्र प्राप्ति के निमित्त
अन्न धन वैभव ऐश्वर्य सर्व कर्म पुत्र निहित

यूँ ही नहीं मनाते हैं श्राद्ध-पितृपक्ष शुभ कार्य वर्जित करके
हम शोक-संवेदना से संलिप्त होते हैं हृदय उत्सर्जित करके

एक लोटा जल से भी‌ ऋणमुक्त हुआ जा सकता है
पितरों पूर्वजों का तर्पन ऐसे भी किया जा सकता है

यथा संभव–तथा लाभ
भुक्ति-मुक्ति पितृ यथार्थ

आया हूँ इस लोक भ्रमण को
पिंडदान और मुक्त तर्पण को
पूर्वज हूँ तेरा इतना फर्ज निभा देना
एक लोटा गंगाजल मुझे पिला देना
विष्णुपद में मुझे बुलाकर मेरा पिंडदान करा देना
उसके बाद मेरे नाम का तर्पण फल्गू में बहा देना
पितृपक्ष में बड़ी आस से तेरे घर को आया हूँ
श्राद्ध पक्ष में विश्वास लेकर द्वार पर आया हूँ
मेरी मुक्ति के निमित्त ये संस्कार करा देना
लोक परलोक शुद्ध मुक्त सत्य करा देना
मेरी क्षुधा के निमित्त भरपेट भोजन
कर्मकांडीय ब्राह्मण को खिला देना
एक और पत्ते में भोजन को तुम
गौ, कौवा, कुत्ते भी रख आना
फिर थोड़ा भोजन तुम करना
मेरा आशिर्वाद ग्रहण करना

पितृपक्ष के पावन सोलह दिन
अधर्म अहिंसा कुकर्म छल बिन

भक्ति मुक्ति शक्ति ग्रहणकाल
मानव जीवन सदा खुशहाल

पितृ पक्ष शुभकामना संदेश

श्राद्ध पक्ष के शुभ अवसर पर सभी लोगों को उनके पितरों का आशीर्वाद प्राप्त हो। यही है हमारी शुभकामना।

श्राद्ध, अपने पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक हैं। श्राद्ध पक्ष की शुभकामना।

पितरों के निमित्त विधिपूर्वक जो कर्म श्रद्धा से किया जाता है, उसी को ‘श्राद्ध’ कहते हैं।

ब्रह्म पुराण के अनुसार जो कुछ उचित काल, पात्र एवं स्थान के अनुसार उचित (शास्त्रानुमोदित) विधि द्वारा पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को दिया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है।

मृत व्यक्ति के लिए जो श्रद्धायुक्त होकर तर्पण, पिण्ड, दानादि किया जाता है, उसे ‘श्राद्ध’ कहा जाता है और जिस ‘मृत व्यक्ति’ के एक वर्ष तक के सभी और्ध्व दैहिक क्रिया कर्म संपन्न हो जायें, उसी की ‘पितर’ संज्ञा हो जाती है।

मिताक्षरा के अनुसार, पितरों का उद्देश्य करके (उनके कल्याण के लिए) श्रद्धापूर्वक किसी वस्तु का या उससे सम्बन्धित किसी द्रव्य का त्याग श्राद्ध है।

कल्पतरु के अनुसार, पितरों का उद्देश्य करके (उनके लाभ के लिए) यज्ञिय वस्तु का त्याग एवं ब्राह्मणों के द्वारा उसका ग्रहण प्रधान श्राद्धस्वरूप है।

याज्ञवल्क्यस्मृति का कथन है कि पितर लोग, यथा–वसु, रुद्र एवं आदित्य, जो कि श्राद्ध के देवता हैं, श्राद्ध से संतुष्ट होकर मानवों के पूर्वपुरुषों को संतुष्टि देते हैं।

राधा कृष्ण शायरी

कोई प्यार करे तो राधा-कृष्ण की तरह करे
जो एक बार मिले, तो फिर कभी बिछड़े हीं नहीं.

राधा त्याग की राह चली तो
हर पथ फूल बिछा गया कृष्णा
राधा ने प्रेम की आन रखी तो
प्रेम का मान बढ़ा गया कृष्णा
कृष्णा के मन भा गई राधा
राधा के मन समा गया कृष्णा
कृष्णा को कृष्णा बना गई राधा
राधा को राधा बना गया कृष्णा

राधा कहती है दुनियावालों से
तुम्हारे और मेरे प्यार में बस इतना अंतर है
प्यार में पड़कर तुमने अपना सबकुछ खो दिया
और मैंने खुद को खोकर सबकुछ पा लिया.

किसी की सूरत बदल गई किसी की नियत बदल गई
जब से तूने पकड़ा मेरा हाथ
“राधे” मेरी तो किस्मत ही बदल गई

सुध-बुध खो रही राधा रानी
इंतजार अब सहा न जाएँ
कोई कह दो सावरे से
वो जल्दी राधा के पास आएँ

“राधा” के सच्चे प्रेम का यह ईनाम हैं
कान्हा से पहले लोग लेते “राधा” का नाम हैं

राधा की चाहत है कृष्ण
उसके दिल की विरासत है कृष्ण
चाहे कितना भी रास रचा ले कृष्ण
दुनिया तो फिर भी यही कहती है
राधे कृष्ण राधे कृष्ण

कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दिवानी
जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी.

फूलो में सज रहे है श्री वृंदावन बिहारी
और साथ सज रही है वृषभानु की दुलारी
टेड़ा सा मुकुट रखा है कैसे सर पर
करुणा बरस रही है करुणा भरी निगाह से
बिन मोल बीक गयी हु जबसे छबि निहारी
फूंलों मे सज रहे है श्री वृंदावन बिहारी

राधा कृष्ण का मिलन तो बस एक बहाना था
दुनिया को प्यार का सही मतलब जो समझाना था.

हम भी तेरी मोहनी मूरत दिल में छिपाये बैठे है
तेरी सुन्दर सी छवि आँखों में बसाये बैठे है
इक बार बांसुरी की मधुर तान सुनादे कान्हा
हम भी एक छोटी सी आस जगाये बैठे है
राधे राधे जय श्री राधे।।

हर पल, हर दिन कहता है कान्हा का मन
तू कर ले पल-पल राधा का सुमिरन.

कान्हा को राधा ने प्यार का पैगाम लिखा
पूरे खत में सिर्फ कान्हा-कान्हा नाम लिखा.

जिस पर राधा को मान हैं
जिस पर राधा को गुमान हैं
यह वही कृष्ण हैं जो राधा
के दिल हर जगह विराजमान हैं

राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आएंगे
एक बार आ गए तो कभी नहीं जायेंगे.

कर भरोसा राधे नाम का
धोखा कभी न खायेगा
हर मौके पर कृष्ण
तेरे घर सबसे पहले आयेगा
जय श्री राधेकृष्ण

राधा-राधा जपने से हो जाएगा तेरा उद्धार
क्योंकि यही वही वो नाम है जिससे कृष्ण को प्यार.

पीर लिखो तो मीरा जैसी
मिलन लिखो कुछ राधा सा
दोनों ही है कुछ पूरे से
दोनों में ही वो कुछ आधा सा

एक तरफ साँवले कृष्ण, दूसरी तरफ राधिका गोरी
जैसे एक-दूसरे से मिल गए हों चाँद-चकोरी

राधा के हृदय में श्री कृष्ण
राधा की साँसों में श्री कृष्ण
राधा में ही हैं श्री कृष्ण
इसीलिए दुनिया कहती हैं

तेरे सीने से लग कर तेरी धङकन बन जाऊँ
तेरी साँसो मेँ घुल कर खुशबू बन जाऊँ
हो न फासला कोई हम दोनो के दरम्याँ
मैँ …मैँ न रहुँ साँवरे.. बस तुँ ही तुँ बन जाऊँ

हे कान्हा, तुम संग बीते वक़्त का मैं कोई हिसाब नहीं रखती
मैं बस लम्हे जीती हूँ, इसके आगे कोई ख्वाब नहीं रखती।

कान्हा तुझे ख्वाबों में पाकर दिल खो ही जाता हैं
खुदको जितना भी रोक लू, प्यार हो ही जाता हैं।

कितने सुंदर नैन तेरे ओ राधा प्यारी,
इन नैनों में खो गये मेरे बांकेबिहारी।

कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दिवानी,
जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी।

प्रेम की भाषा बड़ी आसान होती हैं,
राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी ये पैगाम देती हैं।

कान्हा को राधा ने प्यार का पैगाम लिखा,
पुरे खत में सिर्फ कान्हा कान्हा नाम लिखा।

राधा कृष्ण का मिलन तो बस एक बहाना था,
दुनियाँ को प्यार का सही मतलब जो समझाना था।

राधा के सच्चे प्रेम का यह ईनाम हैं,
कान्हा से पहले लोग लेते राधा का नाम हैं।

एक तरफ साँवले कृष्ण, दूसरी तरफ राधिका गोरी
जैसे एक-दूसरे से मिल गए हों चाँद-चकोरी।

यदि प्रेम का मतलब सिर्फ पा लेना होता,
तो हर हृदय में राधा-कृष्ण का नाम नही होता।