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शिव शंकर शायरी

सारा जहां है जिसकी शरण में
नमन है उस शिव क चरण में,
बने उस शिव के चरणों की धूल
आओ मिलकर चढ़ाये हम श्रद्धा के फूल.

कैसे कह दूँ कि मेरी हर दुआ बेअसर हो गई,
मैं जब जब भी रोया, मेरे भोलेनाथ को खबर हो गई…!!!


मन छोड़ व्यर्थ की चिंता तू शिव का नाम लिये जा,
शिव अपना काम करेंगे तू अपना काम किये जा,
शिव शिव शिव ऊँ: नम: शिवाय शिव शिव शिव

शिव की ज्योति से नूर मिलता है
सबके दिलो को सुरूर मिलता हैं
जो भी जाता है भोले के द्वार
कुछ न कुछ ज़रूर मिलता हैं

मुझमें कोई छल नहीं, तेरा कोई कल नहीं
मौत के ही गर्भ में, ज़िंदगी के पास हूँ
अंधकार का आकार हूँ, प्रकाश का मैं प्रकार हूँ
मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ

जिनके रोम रोम में शिव हैं वही विष पिया करते हैं
जमाना उन्हे क्या जलाएगा
जो श्रृंगार ही अंगार से किया करते हैं

यह कैसी घटा छाई हैं
हवा में नई सुर्खी आई है
फ़ैली है जो सुगंध हवा में
जरुर महादेव ने चिलम लगाई है

विश्व का कण कण शिव मय हो
अब हर शक्ति का अवतार उठे
जल थल और अम्बर से फिर
बम बम भोले की जय जयकार उठे

शिव की बनी रहे आप पर छाया
पलट दे जो आपकी किस्मत की काया
मिले आपको वो सब इस अपनी ज़िन्दगी में
जो कभी किसी ने भी ना पाया

अदभुत भोले तेरी माया
अमरनाथ में डेरा जमाया
नीलकंठ में तेरा साया
तू ही मेरे दिल में समाया

शिव सत्य है शिव अनंत है
शिव अनादि है शिव भगवंत है
शिव ओंकार है शिव ब्रह्म है
शिव शक्ति है शिव भक्ति है

शिव के चरणों में है मिलते
सारे तीरथ चारों धाम
करनी का सुख तेरे हाथों
शिव के हाथों में परिणाम

मेरे जिस्म जान में ‪‎भोलेनाथ‬ नाम तुम्हारा है
आज अगर मैं खुश हूँ तो यह एहसान भी तुम्हारा है
थामा हुआ है हाथ मेरा आपने मुझको मालूम है
मेरे हर पल हर लम्हे में मेरे भोलेनाथ प्यार तुम्हारा है

कर्ता करे न कर सके
शिव करे सो होये
तीन लोक नो खंड में
शिव से बड़ा ना कोय

शिव की महिमा अपरम्पार
शिव करते सबका उद्धार
उनकी कृपा आप पर सदा बनी रहे और
भोले शंकर आपके जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ भर दे

बाबा ने जिस पर भी डाली छाया
उसकी किस्मत की पलट गई काया
वो सब मिला उसे बिन मांगे ही
जो कभी किसी ने ना पाया

भोले बाबा का आशीर्वाद मिले आपको
उनकी दुआ का परसाद मिले आपको
आप करे अपनी ज़िन्दगी में इतनी तरक्की
हर किसी का प्यार मिले आपको

ना किसी आभाव में जीते हैं,
ना किसी के प्रभाव में जीते हैं
भगवान शिव के भक्त हैं हम
सिर्फ अपने स्वभाव में जीते हैं

उसने ही जगत बनाया हैं
कण-कण में वहीं समाया हैं
दुःख भी सुख सा ही बीतेगा
सर पे जब भगवान शिव का साया हैं

लोग कहते हैं अगर हाथों की लकीरें
अधूरी हो तो किस्मत अच्छी नही होती
लेकिन हम कहते हैं कि सर पर हाथ
‘महादेव’ का हो तो लकीरों की ज़रूरत नही होती

भोले शंकर का आशीर्वाद मिले
उनकी दया का प्रसाद मिले
आप पायें जीवन में सफलता
आपको भोले शंकर का वरदान मिले

देवो के देव महादेव आप से छुप जाएँ
मेरी तकलीफ ऐसी कोई बात नहीं
तेरी भक्ति से ही पहचान हैं मेरी
वरना मेरी कोई औकात नही

जब पड़ी हो आप पर भोले की छाया,
चुटकी में बदल दे जो आपकी काया
मिलेगा जीवन में वो सब
जो कभीं किसी ने न पाया

ईश्वर शायरी

मेरा भी खाता खोल दो “भगवान” अपने दरबार में,
आता रहूँ निरंतर लेन – देन के व्यापार में,
मेरे कर्मो के मूल पर आपके दर्शन का ब्याज लगा देना,
जो ना चुका पाऊँ उधार तो अपना सेवादार बना देना।।

दुख में भगवान को याद करने का हक उसी को है जो,
सुख में उसका शुक्रिया अदा किया हो

मेरे मालिक तू मुझे इस काबिल बनाना कि मैं हक़ की रोटी खाऊं, और एक तेरे सिवा किसी और के आगे हाथ ना फैलाऊं..!!

मेरी औकात से बढ़कर मुझे कुछ न देना मेरे भगवान,
क्योंकि जरुरत से ज्यादा रौशनी भी इंसान को अंधा बना देती है.

मेरे भगवान कहते हैं कि मत सोच तेरा सपना पूरा होगा या नहीं,
क्योंकि जिसके कर्म अच्छे होते हैं उनकी तो मैं भी मदद करता हूँ…

नाम इतना जपो कि
भगवान धड़कन में उतर जाये
साँस भी लो तो खुशबू
भगवान दरबार की आये
भगवान का नशा दिल पर ऐसा छाए
बात कोई भी हो पर नाम
भगवान का ही जिव्हा पर आये ।।

नाम इतना जपो कि
भगवान धड़कन में उतर जाये
साँस भी लो तो खुशबू
भगवान दरबार की आये
भगवान का नशा दिल पर ऐसा छाए
बात कोई भी हो पर नाम
भगवान का ही जिव्हा पर आये ।।

तैरना है तो समंदर में तैरो नदी नालों में क्या रखा है
प्यार करना है तो भगवान से करो
इन बेवफाओ में क्या रखा है !!

कृपा जिनकी मेरे ऊपर तेवर भी उन्हीं का वरदान है
शान से जीना सिखाया जिसने “भगवान” उनका नाम है!

सबसे बड़ा तेरा दरबार है, तू ही सब का पालनहार है,
सजा दे या माफी भगवान,
तू ही हमारी सरकार है.

अषाढी एकादशी शुभेच्छा

सुप्रभात!
बोला पुंडलिक हरी विठ्ठल!!

पाणी घालतो तुळशीला !
वंदन करतो देवाला !
सदा आंनदी ठेव
माझ्या मित्रांना.
हिच प्रार्थना पाडुरंगाला
सर्वांना
आषाढी एकादशीच्या
हार्दिक शुभेच्छा.

मुख दर्शन व्हावे आता ..
तु सकळ जनांचा दाता..
घे कुशीत या माऊली..
तुझ्या चरणी ठेवितो माथा..
माऊली माऊली रूप तुझे
विठ्ठल विठ्ठल जय हरी विठ्ठल.
सर्वांना आषाढी एकादशीच्या
हार्दिक शुभेच्छा.

तूझा रे आधार मला। तूच रे पाठिराखा।।
तूच रे माझ्या पांडुरंगा।। चूका माझ्या देवा।
घे रे तुझ्या पोटी।। तुझे नाम ओठी सदा राहो।।
आषाढी एकादशी च्या हार्दिक शुभेच्छा।।
राम कृष्ण हरी माऊली।।

विठ्ठल विठ्ठल जय हरी विठ्ठल
जय जय विठ्ठल जय हरी विठ्ठल
शुभ आषाढी एकादशी

!!…जय हरी विठ्ठल….!!
विठ्ठलाची ओढ किती गोड गोड
जोडूनिया कर फुले मन
तोच भासे दाता तोची मातापिता
विसर जगाचा सर्वकाळ ….
विठ्ठल विठ्ठल गजर नामाचा
हारे चिंता व्यथा क्षणार्धात ….
सोड अहंकार, सोड तु संसार
क्षेम दे विठ्ठला डोळे मिटून …

माझे माहेर पंढरी |
आहे भिवरेचे तिरी || बाप आणि आई |
माझी विठ्ठल रखुमाई || पुंडलिक आहे बंधू |
त्याची ख्याती काय सांगू || माझी बहिण चंद्रभागा |
करीत असे पापभंगा || एकाजनार्दनी शरण |
करी माहेराची आठवण ||
!!…..जय हरी विठ्ठल…..!!

!!…जय हरी विट्ठल …!!
सदा पै परिपुर्ण जयाचे रुपडे !
तेथेचि माजीवडे मन करी !!
होईल उद्धार सुटेल संसार !
सर्व मायापुर दुरी होय !!
कांठाळा कायेचा दुरावा मायेचा !
हेचि जप वाचा स्मरे नाम !!
नामा म्हणे करी सर्व हरी हरी !
राम हे उत्तरी वाखाणी पा !!

बोलावा विठ्ठल पहावा विठ्ठल ।
करावा विठ्ठल जीवभाव ॥१॥
येणें सोसें मन जालें हांवभरे ।
परती माघारें घेत नाहीं ॥२॥
बंधनापासुनि उकलल्या गांठी ।
देतां आली मिठी सावकाश ॥३॥
तुका म्हणे देह भरिला विठ्ठलें ।
कामक्रोधें केलें घर रीतें ॥४॥
शुभ आषाढी एकादशी

चंद्रभागेच्यातीरी, उभा मंदिरी, तो पहा विटेवरी
दुमदुमली पंढरी, पांडुरंग हरि, तो पहा विटेवरी…
आषाढी एकादशीच्या हार्दिक शुभेच्छा!!

विठ्ठल, विठ्ठल, विठ्ठल, विठ्ठल,
तुला साद आली तुझ्या लेकरांची
अलंकापुरी आज भारावली
वसा वारी चा घेतला पावलांनी
आम्हा वाळवंटी तुझी सावली
गळा भेट घेण्या भिमेची निघाली
तुझ्या नामघोषात इंद्रायणी
विठ्ठल, विठ्ठल, विठ्ठल, विठ्ठल.