Dosti Shayari 2 Line
दोस्ती शायरी दो लाइन
खींच कर उतार देते हैं उम्र की चादर…
ये कम्बख्त दोस्त…
कभी बूढ़ा नही होने देते
उसने पूछा है दोस्त का मतलब
सोचता हूँ दोस्त, आैर मतलब
मुझसे दोस्त नही बदले जाते, चाहे लाख दूरी होने पर
यहां लोगों के भगवान बदल जाते हैं, ऐक मुराद ना पूरी होने पर
प्यार से तो बङा होता है दोसती का रिशता
क्यूकि दोस्त कभी बेवफा नही होते
मिलकर लोग खुश होते है तो क्या हुआ,
बिना मिले दोस्ती निभाना भी जिन्दगी है
देखी जो नब्ज मेरी तो हँस कर बोला हकीम,
तेरे मर्ज़ का इलाज महफ़िल है तेरे दोस्तों की।
दोस्ती किस से न थी किस से मुझे प्यार न था,
जब बुरे वक़्त पे देखा तो कोई यार न था।
तूफानों की दुश्मनी से न बचते तो खैर थी,
साहिल से दोस्तों के भरम ने डुबो दिया।
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