कोई प्यार करे तो राधा-कृष्ण की तरह करे
जो एक बार मिले, तो फिर कभी बिछड़े हीं नहीं.
राधा त्याग की राह चली तो
हर पथ फूल बिछा गया कृष्णा
राधा ने प्रेम की आन रखी तो
प्रेम का मान बढ़ा गया कृष्णा
कृष्णा के मन भा गई राधा
राधा के मन समा गया कृष्णा
कृष्णा को कृष्णा बना गई राधा
राधा को राधा बना गया कृष्णा
राधा कहती है दुनियावालों से
तुम्हारे और मेरे प्यार में बस इतना अंतर है
प्यार में पड़कर तुमने अपना सबकुछ खो दिया
और मैंने खुद को खोकर सबकुछ पा लिया.
किसी की सूरत बदल गई किसी की नियत बदल गई
जब से तूने पकड़ा मेरा हाथ
“राधे” मेरी तो किस्मत ही बदल गई
सुध-बुध खो रही राधा रानी
इंतजार अब सहा न जाएँ
कोई कह दो सावरे से
वो जल्दी राधा के पास आएँ
“राधा” के सच्चे प्रेम का यह ईनाम हैं
कान्हा से पहले लोग लेते “राधा” का नाम हैं
राधा की चाहत है कृष्ण
उसके दिल की विरासत है कृष्ण
चाहे कितना भी रास रचा ले कृष्ण
दुनिया तो फिर भी यही कहती है
राधे कृष्ण राधे कृष्ण
कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दिवानी
जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी.
फूलो में सज रहे है श्री वृंदावन बिहारी
और साथ सज रही है वृषभानु की दुलारी
टेड़ा सा मुकुट रखा है कैसे सर पर
करुणा बरस रही है करुणा भरी निगाह से
बिन मोल बीक गयी हु जबसे छबि निहारी
फूंलों मे सज रहे है श्री वृंदावन बिहारी
राधा कृष्ण का मिलन तो बस एक बहाना था
दुनिया को प्यार का सही मतलब जो समझाना था.
हम भी तेरी मोहनी मूरत दिल में छिपाये बैठे है
तेरी सुन्दर सी छवि आँखों में बसाये बैठे है
इक बार बांसुरी की मधुर तान सुनादे कान्हा
हम भी एक छोटी सी आस जगाये बैठे है
राधे राधे जय श्री राधे।।
हर पल, हर दिन कहता है कान्हा का मन
तू कर ले पल-पल राधा का सुमिरन.
कान्हा को राधा ने प्यार का पैगाम लिखा
पूरे खत में सिर्फ कान्हा-कान्हा नाम लिखा.
जिस पर राधा को मान हैं
जिस पर राधा को गुमान हैं
यह वही कृष्ण हैं जो राधा
के दिल हर जगह विराजमान हैं
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आएंगे
एक बार आ गए तो कभी नहीं जायेंगे.
कर भरोसा राधे नाम का
धोखा कभी न खायेगा
हर मौके पर कृष्ण
तेरे घर सबसे पहले आयेगा
जय श्री राधेकृष्ण
राधा-राधा जपने से हो जाएगा तेरा उद्धार
क्योंकि यही वही वो नाम है जिससे कृष्ण को प्यार.
पीर लिखो तो मीरा जैसी
मिलन लिखो कुछ राधा सा
दोनों ही है कुछ पूरे से
दोनों में ही वो कुछ आधा सा
एक तरफ साँवले कृष्ण, दूसरी तरफ राधिका गोरी
जैसे एक-दूसरे से मिल गए हों चाँद-चकोरी
राधा के हृदय में श्री कृष्ण
राधा की साँसों में श्री कृष्ण
राधा में ही हैं श्री कृष्ण
इसीलिए दुनिया कहती हैं
तेरे सीने से लग कर तेरी धङकन बन जाऊँ
तेरी साँसो मेँ घुल कर खुशबू बन जाऊँ
हो न फासला कोई हम दोनो के दरम्याँ
मैँ …मैँ न रहुँ साँवरे.. बस तुँ ही तुँ बन जाऊँ
हे कान्हा, तुम संग बीते वक़्त का मैं कोई हिसाब नहीं रखती
मैं बस लम्हे जीती हूँ, इसके आगे कोई ख्वाब नहीं रखती।
कान्हा तुझे ख्वाबों में पाकर दिल खो ही जाता हैं
खुदको जितना भी रोक लू, प्यार हो ही जाता हैं।
कितने सुंदर नैन तेरे ओ राधा प्यारी,
इन नैनों में खो गये मेरे बांकेबिहारी।
कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दिवानी,
जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी।
प्रेम की भाषा बड़ी आसान होती हैं,
राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी ये पैगाम देती हैं।
कान्हा को राधा ने प्यार का पैगाम लिखा,
पुरे खत में सिर्फ कान्हा कान्हा नाम लिखा।
राधा कृष्ण का मिलन तो बस एक बहाना था,
दुनियाँ को प्यार का सही मतलब जो समझाना था।
राधा के सच्चे प्रेम का यह ईनाम हैं,
कान्हा से पहले लोग लेते राधा का नाम हैं।
एक तरफ साँवले कृष्ण, दूसरी तरफ राधिका गोरी
जैसे एक-दूसरे से मिल गए हों चाँद-चकोरी।
यदि प्रेम का मतलब सिर्फ पा लेना होता,
तो हर हृदय में राधा-कृष्ण का नाम नही होता।