वो भला क्यूँ कदर करते हमारे अश्को की
सुना है सावन उनके शहर पर कुछ ज्यादा मेहरबान रहता है
सावन की बूंदों में झलकती है उसकी तस्वीर
आज फिर भीग बैठे उसे पाने की चाहत में
जब चले जाएँगे हम लौट के सावन की तरह
याद आयेंगे पहले प्यार के चुम्बन की तरह
वो तेरा शरमा के मुझसे यूँ लिपट जाना
कसम से हर महीने में सावन सा अहसास देता है
अब के सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई
मेरा घर छोड़ के पुरे शहर में बरसात हुई
पतझड़ दिया था वक़्त ने सौगात में मुझे
मैने वक़्त की जेब से ‘सावन’ चुरा लिया
मालूम है ये सावन अगले बरस भी आएगा
पर तुम अभी आ जाओगे तो क्या बिगड़ जायेगा
लाख बरसे झूम के सावन मगर वो बात कहाँ
जो ठंडक पङती है दिल में तेरे मुस्कुराने से
सावन की बरसात की तरह झरने दो
ये तुम्हारा नाम मेरे सीने में, मेरी साँसों में रहने दो
जो गुजरे इश्क में सावन सुहाने याद आते हैं
तेरी जुल्फों के मुझको शामियाने याद आते हैं