✐ पराया होकर भी कभी पराई नही होती
शायद इसलिए
कभी पिता से हँसकर बेटी की बिदाई नही होती
✐ वो शाख़ है न फूल अगर तितलियाँ न हो
वो घर भी कोई घर है जहाँ बच्चियाँ न हो
✐ जरूरी नहीं रौशनी चिरागों से ही हो
बेटियाँ भी घर में उजाला करती हैं
✐ लाख गुलाब लगा लो तुम अपने आँगन में
जीवन में खुशबू तो बेटी के आने से ही होगी
✐ माँ-बाप के जीवन में ये दिन भी आता हैं
जिगर का टुकड़ा ही एक दिन दूर हो जाता हैं
✐ बेटी की हर ख्वाहिश पूरी नहीं होती
फिर भी बेटिया कभी भी अधूरी नहीं होती
✐ माँ-बाप के जीवन में ये दिन भी आता हैं
जिगर का टुकड़ा ही एक दिन दूर हो जाता हैं
✐ बेटियाँ सब के मुक़द्दर में कहाँ होती हैं
घर खुदा को जो पसंद आये वहाँ होती हैं
✐ बेटे भाग्य से होते हैं
पर बेटियाँ सौभाग्य से होती हैं
✐ सब ने पूछा बहु दहेज़ में क्या-क्या ले आई
किसी ने ना पूछा बेटी क्या-क्या छोड़ आई