✐ हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य को सर्वांगसुंदर बनाना हमारा कर्त्तव्य है। – डॉ. राजेंद्रप्रसाद
✐ जीवन के छोटे से छोटे क्षेत्र में हिन्दी अपना दायित्व निभाने में समर्थ है। – पुरुषोत्तमदास टंडन
✐ निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। – भारतेंदु हरिश्चंद्र
✐ भाषा के उत्थान में एक भाषा का होना आवश्यक है। इसलिए हिन्दी सबकी साझा भाषा है। – पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार
✐ राष्ट्रभाषा हिन्दी का किसी क्षेत्रीय भाषा से कोई संघर्ष नहीं है। – अनंत गोपाल शेवड़े
✐ हिन्दी का पौधा दक्षिणवालों ने त्याग से सींचा है। – शंकरराव कप्पीकेरी
✐ समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है। – (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर
✐ हिन्दी का काम देश का काम है, समूचे राष्ट्रनिर्माण का प्रश्न है। – बाबूराम सक्सेना
✐ राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है। – अवनींद्रकुमार विद्यालंकार
✐ हिन्दी उर्दू के नाम को दूर कीजिए एक भाषा बनाइए। सबको इसके लिए तैयार कीजिए। – देवी प्रसाद गुप्त
✐ मैं मानती हूं कि हिन्दी प्रचार से राष्ट्र का ऐक्य जितना बढ़ सकता है वैसा बहुत कम चीजों से बढ़ सकेगा। – लीलावती मुंशी
✐ संस्कृत मां, हिन्दी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है। – डॉ. फादर कामिल बुल्के
✐ हिन्दी संस्कृत की बेटियों में सबसे अच्छी और शिरोमणि है। – ग्रियर्सन
✐ हिन्दी हमारे देश और भाषा की प्रभावशाली विरासत है। – माखनलाल चतुर्वेदी
✐ संस्कृत की विरासत हिन्दी को तो जन्म से ही मिली है। – राहुल सांकृत्यायन
✐ हिन्दी को तुरंत शिक्षा का माध्यम बनाइए। – बेरिस कल्येव
✐ विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है। – वॉल्टर चेनिंग
✐ राष्ट्रीय एकता की कड़ी हिन्दी ही जोड़ सकती है। – बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
✐ हिन्दी ही भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है। – वी. कृष्णस्वामी अय्यर
✐ दक्षिण की हिन्दी विरोधी नीति वास्तव में दक्षिण की नहीं, बल्कि कुछ अंग्रेजी भक्तों की नीति है। – के.सी. सारंगमठ