✐ खिलती हुई कलियाँ है बेटियाँ
माँ बाप का दर्द समझती है बेटियाँ
घर को रोश्हन करती है बेटियाँ
लड़के आज है तो आने वाला कल है बेटियाँ
✐ मेरा बेटा तबतक मारा है
जबतक उसको पत्नी नही मिला जाती
मेरी बेटी तबतक मेरी है
जनताक मेरी ज़िन्दगी ख़त्म नही हो जाती
✐ देवालय में बजते शंख की ध्वनि है बेटी
देवताओं के हवन यज्ञ की अग्नि है बेटी
खुशनसीब हैं वो जिनके आँगन में है बेटी
जग की तमाम खुशियों की जननी है बेटी
✐ बेटी भार नही, है आधार
जीवन हैं उसका अधिकार
शिक्षा हैं उसका हथियार
बढ़ाओ कदम, करो स्वीकार
✐ बड़े नसीब वालों के घर जन्म लेती है बेटी
घर आँगन को खुशियों से भर देती है बेटी
बस थोड़ा सा प्यार और दुलार चाहिए इसे
थोड़ी संभाल में लहलहाए वो खेती है बेटी
✐ बेटी को चांद जैसा मत बनाओ
कि हर कोई घूर घूर कर देखे
किंतु.. बेटी को सूरज जैसा बनाओ
ताकि घूरने से पहले सब की नजर झुक जाये
✐ एक मीठी सी मुस्कान हैं बेटी
यह सच है कि मेहमान हैं बेटी
उस घर की पहचान बनने चली
जिस घर से अनजान हैं बेटी
✐ धन पराया होकर भी
बेटी होती नहीं पराई
इसीलिए बिन रोये माँ-बाप
बेटी की करते नहीं विदाई
✐ बिटिया मेरी कहती बाहें पसार
उसको चाहिए बस प्यार-दुलार
उसकी अनदेखी करते हैं सब
क्यों इतना निष्ठुर ये संसार
✐ किस्मत वाले है वो लोग
जिन्हें बेटियां नसीब होती है
ये सच है कि उन लोगों को
रब की मोहब्बत नसीब होती है
✐ बिन बिटिया के कैसे बसेगा घर-परिवार
कैसे आएगी खुशियाँ कैसे बढेगा संसार
गर्भ से लेकर यौवन तक बस उस पर
लटक रही है हरदम तलवार
✐ मुझे पापा से ज्यादा शाम अच्छी लगती हैं
क्योकि पापा तो सिर्फ खिलौने लाते हैं
पर शाम तो पापा को लाती हैं
✐ जिस घर मे होती है बेटियां
रौशनी हरपल रहती है वहां
हरदम सुख ही बरसे उस घर
मुस्कान बिखेरे बेटियां जहाँ