SUPRABHATAM

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“सुबह” आई है। 
“शाम” भी आयेगी
“आज” आया है। 
“कल” भी आयेगा 
“दुःख” आया है। 
“सुख” भी आयेगा 
“कुदरत” की “चिन्ता” 
“कुदरत” पर ही “छोड” दें 
हे “मानस” तु “चाह” कर भी “बदल” नहीं सकता 
इस “दस्तूर” को 
फिर क्यों कल की “फिक्र” में 
“आज “को “बदलने” पर “तुला” है।
सुप्रभातम

This picture was submitted by Smita Haldankar.

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