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माना जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्रती को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है.
योगिनी एकादशी कब होती है?
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है.
– एकादशी से एक दिन पहले यानी कि दशमी तिथि से व्रत के नियमों का पालन करें.
– दशमी तिथि को सादा भोजन ग्रहण करें और ब्रह्मचार्य के नियमों का पालन करें.
– योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर में साफ-सफाई करें.
– इसके बाद स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लें.
– घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा, फोटो या कैलेंडर के सामने दीपक जलाएं.
– इसके बाद विष्णु की प्रतिमा को अक्षत, फूल, मौसमी फल, नारियल और मेवे चढ़ाएं.
– विष्णु की पूजा करते हुए तुलसी के पत्ते अवश्य रखें.
– इसके बाद धूप दिखाकर श्री हरि विष्णु की आरती करें.
– अब पीपल के पेड़ की पूजा करें.
– एकादशी की कथा सुनें या सुनाएं.
– इस दिन दान करना कल्याणकारी माना जाता है.
– रात के समय भगवान के भजन-कीर्तन करना चाहिए.
– अगले दिन पारण के समय किसी ब्राह्मण या गरीब को यथाशक्ति भोजन कराएं और दक्षिणा दें.
– इसके बाद अन्न और जल ग्रहण कर व्रत का पारणा करें.
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